नमस्कार दोस्तों आशा करता हूं आप बिल्कुल ठीक होंगे आज के इस आर्टिकल के मदद से हम Lohri त्योहार क्या है और Lohri त्योहार को कैसे मनाया जाता है के बारे में संपूर्ण जानकारी पूरे विस्तार से प्राप्त करने वाले हैं और इसके बारे में समझने भी वाले हैं।
आपको मालूम ही होगा कि आए दिन हमारे देश भारत में कई सारे ऐसे त्यौहार हैं जो एक के बाद एक आते ही रहते हैं और हम लोग उसे बेहतरीन तरह से मनाते ही रहते हैं तो उसी त्योहारों में से एक है यह Lohri का त्यौहार जो कि आमतौर पर जनवरी और नए साल के उत्सव पर भी मनाया जाता है।
क्या आपको पता है कि कई सारे लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें इस त्यौहार के बारे में बिल्कुल भी मालूम नहीं होता है और कई सारे लोग होते हैं जो इस त्यौहार के बारे में थोड़ी बहुत जानते हैं मगर इस त्यौहार का इतिहास उन्हें बिल्कुल भी नहीं मालूम होता है तो हम सभी ने मिलकर के इस लेख में इसी Lohri त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी पूरे विस्तार से बताने की कोशिश की है।
अगर आप इस त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया करके आप इस हमारे लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़े तभी आपको हमारा यह लेख अच्छे से समझ में आएगा। तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए और जानते हैं Lohri त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी पूरे विस्तार से
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Lohri त्योहार का उद्देश्य (Lohri Festival Objective)

दोस्तों अगर आपको इस पर्व के और उसके उद्देश्य के बारे में अच्छे से जानना है तो मैं आपको जानकारी के लिए बता दूं कि यह त्यौहार या पर्व प्रकृति में होने वाले परिवर्तन या बदलाव के साथ- साथ ही इसे मनाये जाते हैं जिसे हम आम भाषा मे लोहड़ी भी कहा जाता हैं इस त्योहार के दिन वर्ष की सबसे खूबसूरत और सबसे लम्बी और अंतिम रात भी होती हैं ।
और में बता दूं कि इसके अगले ही दिन से थोड़ा थोड़ा या धीरे-धीरे दिन अब बढ़ने लगता है और रात धीरे-धीरे छोटी होने लगती है।और यह समय किसानों के लिए भी काफी बेहतर और अच्छे उल्लास का भी समय माना जाता हैं।
और दोस्तों हम बता दें कि यह समय मे खेतों में अनाज लहलहाने लगते हैं और मोसम काफी खूबसूरत और सुहाना सा लगता हैं, और इस त्यौहार को गांव के सब लोग और घर परिवार के भी लोग और दोस्त मिलजुल कर एक साथ मनाते हैं। दोस्तों इस तरह आपसी में बेहतर प्यार और एकता बढ़ाना भी इस त्यौहार का एक मुख्य उद्देश्य हैं।
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Lohri त्योहार को कब मनाया जाता हैं ?

दोस्तों जैसे कि हमने ऊपर के टॉपिक में लोहड़ी का त्यौहार के उद्देश्य के बारे में काफी बेहतर तरीका से समझा है। तो आपके मन में यह भी ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर लोहड़ी का त्यौहार को कब मनाया जाता है तो चलिए अब जानते हैं इस टॉपिक को और जानते हैं कि इस पर्व को कब मनाया जाता है।
दोस्तों आपके जानकारी के लिए बता दु की लोहड़ी पौष माह यानी कि जनवरी की अंतिम रात को एवम मकर संक्राति त्योहार की सुबह से मनाया जाता हैं । यह प्रति शाल मनाया जाता हैं। इस साल 2022 में यह त्यौहार जनवरी के महीने में मानाया जाएगा ।
यह लोहड़ी त्यौहार को भारत देश की शान भी कहा जाता हैं। हर एक प्रान्त के अपने कुछ बेहतर और विशेष तरह का त्यौहार है इन सभी मे में से एक हैं लोहड़ी त्योहार । दोस्तों लोहड़ी का पंजाब प्रान्त के मुख्य और प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक हैं दोस्तों आपके जानकारी के लिए बता दु की इसे भी पंजाबी काफी बड़े जोरो शोरो से और धूम धाम से मनाते हैं। लोहड़ी की धूम कई दिनों पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
दोस्तों जैसे कि हमने ऊपर बताया कि यह त्योहार पंजाब में काफी जोरों शोरों से मनाया जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे देश भारत के अलग-अलग राज्यों में भी नहीं मनाया जाता है दोस्तों यह त्यौहार हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है।
समय के अनुसार यह त्योहार देश के हर हिस्से में अलग- अलग यानी कि भिन्न भिन्न नाम से भी त्यौहार मनाये जाते हैं दोस्तों जैसे की हमारे देश के मध्य भारत में इसे कई सारे लोगों के द्वारा मकर संक्रांति के नाम से भी मनाया जाता है , और इसी तरह से यह त्योहार हमारे देश के दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से भी यह त्योहार मनाया जाता है और यह काइट त्योहार के नाम से भी हमारे देश के कई हिस्सों में मनाया जाता हैं।
मुख्यतः हम यह कह सकते है कि यह सभी त्यौहार अपने परिवार जनों के साथ मिल जुलकर और काफी मजे के साथ मनाये जाते हैं, जो आपसी बैर को भी जड़ से खत्म करते हैं।
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Lohri त्योहार को क्यों मनाया जाता है? Lohri त्यौहार का इतिहास (Why we are celebrated Lohri Festival history and story in hindi)
दोस्तों जैसे कि हमने ऊपर के टॉपिक में जाना कि इस पर्व का उद्देश्य क्या होता है और यह पर्व को कब मनाया जाता है तो यह सभी चीजों को जानने के बाद आपके मन में यह ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर इस पर्व को क्यों मनाया जाता है यानी इस पर्व का इतिहास क्या रहा है और इसका स्टोरी क्या है।
तो दोस्तों आप हमारे इस टॉपिक के साथ बने रहिए हम इस टॉपिक में इसी बात पर विचार विमर्श करने वाले हैं और आपको बताने वाले हैं कि इस त्यौहार का इतिहास क्या है तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए।
दोस्तों अगर हम इसे पुराणों और ऐतिहासिक चीज़ों के आधार पर समझे तो इसे माँ सती के त्याग के रूप में भी प्रति शाल उनके याद करके भी मनाया जाता हैं। दोस्तों अगर हम इसे कथा नुसार और कुछ चीज़ों के आधार पर समझे तो इसे जब प्रजापति दक्ष ने अपनी ही बेटी यानी कि पुत्री सती के पति यानी कि भगवान महादेव शिव का तिरस्कार किया यानी कि अपमानित किया था और वो अपने ही जामाता को यज्ञ में किसी भी कारण बस शामिल ना करने से उनकी पुत्री यानी कि सती ने अपने आप को को अग्नि यानी कि यज्ञ के कुंड में खुद को समर्पित कर दिया था।
और दोस्तों हम आपको बता दें कि उसी दिन को एक बेहतर पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी त्योहार को भी मनाया जाता हैं और दोस्तों क्या आपको मालूम है कि इसी कारण घर की विवाहित बेटी को इस दिन उनको खुश करने के लिए उन्हें तोहफे दिये जाते हैं और बेहतर तरह का स्वादिष्ट भोजन पर सम्मान कर के आमंत्रित भी कर उसका मान सम्मान और उनका आदर भी किया जाता हैं। इसी ख़ुशी में वो लोग श्रृंगार का भी सामान सभी विवाहित महिलाओ को बांटते हैं।
और दोस्तों हम आपको बता दें कि लोहड़ी के पीछे एक महत्वपूर्ण और एतिहासिक कथा यह भी हैं जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से भी ढेर सारे अलग लग जगहों पर जाना जाता हैं। यह कथा और यह ऐतिहासिक कहानी अकबर के शासनकाल की ही हैं दोस्तों क्या आपको मालूम है कि उन दिनों दुल्ला भट्टी पंजाब के प्रान्त का एक अच्छा सरदार ही था, इसे कई सारे लोगो द्वारा पंजाब का नायक यानी हम इसे अब के भाषा मे कहे तो हीरो भी कहा जाता था।
उन दिनों संदलबार नामक एक काफी प्रसिद्ध जगह थी, जो अब दुर्भाग्यपूर्ण पाकिस्तान का हिस्सा हो चुका है। क्या आपको पता है कि वहाँ लड़कियों की बाजारी यानी बिक्री भी होती थी।
तब किसी दुल्ला भट्टी ने इस का जम कर के भीषण विरोध किया और ढेर सारी लड़कियों को काफी ज्यादा सम्मान पूर्वक इस दुष्कर्म से उन्हें बचाया और उनकी किसी बेहतर आदमी से शादी करवाकर उन्हें एक बेहतरीन और सम्मानित जीवन भी दिया। यह भी एक विजय के दिन को लोहड़ी के गीतों में काफी मधुर संगीत की तरह भी गाया जाता हैं और दुल्ला भट्टी को काफी जोरो शोरो से याद किया जाता हैं।
दोस्तों यही सब ऐतिहासिक और कहानियों के कारण इस पर्व को इतना अच्छे तरीका से पंजाब में मनाया जाता है हालांकि यह पर्व भारत के अलग-अलग राज्यों में भी मनाया जाता है तो यह काफी प्रसिद्ध पर्व है आप भी इस का मजा ले सकते हैं जब या पर्व आए तो।
Lohri त्योहार को कैसे मनाया जाता हैं (How we celebrate Lohri in hindi)
हमने ऊपर के टॉपिक में इस त्यौहार के उद्देश्य के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की और हमने यह भी जाना कि यह पर्व कब मनाया जाता है और इस पर्व का इतिहास का कारण भी जाना और अब हम इस टॉपिक में इस पर्व को कैसे मनाया जाता है यह जानेंगे क्योंकि अब आपके मन में यह ख्याल जरूर आया होगा की Lohri त्योहार को कैसे मनाया जाता है तो आप हमारे इस टॉपिक के साथ बने रहिए हम इस टॉपिक में इसी पर विचार विमर्श करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए।
हमने आपको ऊपर बताया था कि पंजाबियों के विशेष त्यौहार हैं लोहड़ी जिसे वे काफी ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं। और आपको पता ही होगा कि जब किसी भी त्योहार को मनाया जाता है तो नाच, गाना और ढोल बजाना तो बहुत जरूरी होती ही है और खास कर के पंजाबियों की यह शान ही होते हैं और इसके बिना इनके त्यौहार पूरे तरह से अधूरे होते हैं। इसलिए यह Lohri त्योहार मनाते समय भी लोग नाच, गाना भी करते हैं।
पंजाबी Lohri त्योहार गीत

आपको मालूम ही होगा कि इस त्यौहार में लोग गीत गाकर के जश्न मनाते हैं और काफी आनंद लेते हैं तो चलिए जानते हैं इस त्यौहार में लोग किस तरह का गीत गाकर के त्यौहार को मनाते हैं। जैसे कि लोहड़ी आने के कई दिन पहले से ही जितने युवा और गांव के बच्चे होते है वो लोहड़ी के गीत को काफी मधुर आवाज में गाते हैं।
इस त्यौहार के लगभग पन्द्रह दिनों पहले से यह गीत को गाना शुरू कर दिया जाता हैं जिन्हें लोग घर-घर जाकर और कई सारे लोग को एक जगह पर इक्कठा कर के भी इस तरह के गीत को गाया जाता हैं। इन सभी गीतों में वीर शहीदों या लोक गीत गा कर के भी लोग पहले के बातों को याद किया जाता हैं जिनमे दुल्ला भट्टी के नाम काफी विशेष रूप से भी लिया जाता हैं।
Lohri त्योहार में खेती खलियान के कुछ महत्व
क्या आपको मालूम है कि लोहड़ी आते आते रबी की लगभग ढेर सारी फसले काट कर के घर में आ जाती हैं और उसका जश्न भी लोग काफी आनंद ले कर मनाते हैं। आपको मालूम ही होगा कि किसानों का जीवन इन्ही सभी फसलो के अच्छे और बुरे उत्पादन पर ही निर्भर करता हैं और दोस्तों जब किसी भी मौसम के फसले हमारे घरों में या हमारे खलिहान में आती हैं लोग काफी खुशी के साथ उत्सव मना ते हैं।
क्या आपको पता है कि लोहड़ी त्योहार में खासतौर पर इन दिनों अधिकांश रूप से गन्ने की फसल अच्छे तरीका से अपने खेतों में बोई जाती हैं और उसकी पुरानी फसले बहु काटी जाती हैं। और क्या आप जानते है कि इन दिनों मुली की फसल भी आती हैं और हमारे खेतो में गहु के साथ साथ सरसों भी काफी बेहतर ढंग से लहरा रही होती हैं। इस मौसम के अब धीरे धीरे ठण्ड की बिदाई का त्यौहार माना जाता हैं।
Lohri त्योहार में पकवान का महत्त्व
आपको मुझे कोई खास इस बारे में बताने की जरुरत नही है कि हमारे भारत देश में लगभग सभी त्यौहार के विशेष और स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं। क्या आपको मालूम है कि लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली और कई सारे स्वादिष्ट व्यंजन भी खाई जाती हैं और इन्ही के पकवान भी पूजा के लिएबनाये जाते हैं।
इसमें काफी विशेषरूप से मक्का की रोटी और सरसों का साग भी बनाई जाती हैं और इसे काफी आनंद के साथ खाई भी जाति है और इसका प्यार से अपनों को खिलाई जाती हैं। इस त्योहार में खासकर के इन्ही सभी पकवानों को काफी आनंद के साथ भी खाया जाता है ।
क्या Lohri बहन बेटियों का त्यौहार है?
इस त्यौहार से जुड़ी सभी जानकारियों को प्राप्त करने के बाद आपके मन में यह ख्याल आता है कि क्या यह त्यौहार सिर्फ बहन बेटियों ही मना सकती हैं तो मैं आपको जानकारी के लिए बता दूं कि इस त्यौहार का इतिहास बहन बेटियों से और नारियों से जरूर जुड़ा हुआ है।
क्या आपको मालूम है कि इस दिन बड़े ही प्रेम से घर से बिदा ( यानी जिनका सदी हो जाता है और वो अपने ससुराल चली जाती है ) उन सभी बहन और बेटियों को उनके मायके यानी उनके पापा के घर पर बुलाया जाता हैं और उनका बेहतर तरह से आदर सत्कार और सम्मान भी किया जाता हैं।
और उनको पुराणिक और ऐतिहासिक कथा के अनुसार इसे दक्ष की सभी तरह के गलती के लिए प्रयाश्चित के तौर पर भी इसे मनाया जाता हैं और बहन बेटियों का सत्कार और सम्मान कर अपनी सभी तरह के गलती की क्षमा भी मांगी जाती हैं। क्या आपको मालूम है कि इस दिन नव विवाहित जोड़े को भी पहली लोहड़ी की बेहतर तरह से बधाई भी दी जाती हैं और किसी भी शिशु के जन्म पर भी पहली लोहड़ी त्योहार के तोहफे दिए जाते हैं।
Lohri में अलाव इस त्योहार में अग्नि क्रीड़ा का महत्व
क्या आपको पता है कि लोहड़ी के कई दिनों पहले से कई प्रकार की सुखी सुखी लकड़ियाँ को ढेर मात्रा में किसी एक जगह पर इक्कट्ठी की जाती हैं।
दोस्तों जिन्हें अपेन नगर या गांव के बीच के एक अच्छे या साफ सूत्रा स्थान पर जहाँ गांव या नगर के सभी लोग अच्छे से एकत्र हो सके और वहाँ सही तरह से उन सभी लकड़ियों को जमाई जाती हैं और उस लोहरी की रात को सभी अपनों दोस्त और रिश्तेदारों और सभी अपनो के साथ मिल झूल कर इस अलाव के आस पास बैठते हैं। कई सारे तरह तरह के गीत सभी लोग मील कर के मधुर आवाज में गाते हैं, और छोटे छोटे बच्चे मस्ती कब लिए आपस मे खेल भी खेलते हैं,
आपसी गिले शिक्वे भूल एक दुसरे को गले लगाते हैं और इस लोहड़ी की त्योहार की एक दूसरे को बधाई देते हैं। और क्या आपको पता है कि इस लकड़ी के ढेर पर अपनी हाथों से अग्नि देकर इसके चारों तरफ मज़े में खेल कूद कर परिक्रमा भी करते हैं और अपने लिए और अपनों के लिये भगवान से काफी अच्छे अच्छे दुआयें भी मांगते हैं। और जो भी विवाहित लोग है वो अपने साथी के साथ मिल कर परिक्रमा लगाती हैं। इस अलाव के चारों तरफ बैठ कर रेवड़ी, गन्ने, गजक आदि तरह के पकवानों का बेहतरीन तरह का सेवन किया जाता हैं।
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Lohri त्योहार के साथ मनाते कैसे मनाते है नए वर्ष
जैसे कि हमने आपको उपर भी बताया कि किसान इन दिनों बहुत ज्यादा खुश रहते हैं क्योंकि उनका फसल खेतों से कट करके अब घरों या खलिहान में आ गया रहता है उसका भी जश्न मनाते हैं।
और आपको पता ही होगा कि लोहड़ी को पंजाब के प्रसिद्ध प्रान्त में किसान नए वर्ष के रूप में भी इसे काफी धूम धाम से भी मनाते हैं। यह पर्व हरियाणवी और पंजाबी लोग काफी ज्यादा मनाते हैं और यही इस दिन को नए वर्ष के रूप में भी मनाते हैं। इससे होता यह है कि नए वर्ष और इस त्यौहार का मज़ा लोग एक ही साथ ले लेते है।
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Lohri त्योहार पर आधुनिक युग का क्या प्रभाव पड़ा है
आपके मन में यह सवाल जरूर मचल रहा होगा कि आखिर इस त्यौहार को हम आधुनिक तरह से कैसे बना सकते हैं और कैसे लोग मनाते हैं मैं आपको जानकारी के लिए बता दूं कि लोग इस त्यौहार को पहले किए जैसे ही धूमधाम से मनाते हैं मगर बस फर्क इतना हो चुका है कि अब लोग जश्न के जगह पर पार्टी मनाते हैं तो इसमें बिल्कुल उसी तरह ही सभी तरीका को अपनाया जाता है और निभाया भी जाता है।
और अब ज्यादा लोग एक दूसरे से गले मिलने के बजाय कई लोग अपने अपने मोबाइल और इन्टरनेट के जरिये ही सभी भाई बंधुओं और एक दुसरे को इस त्योहार की बधाई देते हैं। इस त्योहार की बधाई सन्देश भी व्हाट्स एप और मेल किये जाते हैं। तो कुछ इस तरह से लोहड़ी त्यौहार को आधुनिक रूप से मनाया जाता है।
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Lohri त्योहार की विशेषता
हमने ऊपर के सभी टॉपिक में लगभग इस त्यौहार से जुड़ी सभी जानकारियों को आपको बता दिया है अब हम इस टॉपिक में डिस्कस करेंगे कि आखिर इस त्यौहार की क्या-क्या विशेषताएं हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को और जानते हैं Lohri त्योहार की विशेषता के बारे मे
- लोहड़ी त्यौहार को लोग एक समूह में ढेर सारे स्वादिष्ट पावन को बना कर के इस त्यौहार को और सर्दियों के रात के समय पर आग जला कर के इस मौसम मे इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से और खुशियों के साथ मनाते है।
- क्या आपको पता है कि पंजाब के प्रांत को छोड़कर के हमारे देश भारत के कई अन्य राज्यों के समेत बाहर के देशों यानी कि विदेशों में भी सिख के छोटे बड़े सभी समुदाय इस त्यौहार को बहुत ही बेहतर तरह से धूमधाम से मनाते हैं।
- लोहड़ी का पर्व श्रद्धालुओं के अंदर नई ऊर्जा का विकास करता है और साथ ही में खुशियों की भावना का भी संचार होता है अर्थात यह त्यौहार प्रमुख त्योहारों में से एक है।
- दोस्तों इस पावन और बेहतर त्यौहार के दिन हम इस देश के ढेर सारे विभिन्न विभिन्न राज्यों में अवकाश का प्रावधान भी करते है और हम इस दिन को बेहतर तरह से यादगार भी बनाते हैं।
- इस त्यौहार के दिन लोग सरसों का साग और मक्के की रोटी बनाकर काफी आनंद ले कर के भी खाते हैं और यही इस त्यौहार का ऐतिहासिक पारंपरिक व्यंजन भी है।
- इसके अलावा लोग रात को उस सुखी लकड़ियों को जलाकर के उसके चारों तरफ लोग अच्छे से बैठते हैं और फिर गजक, मूंगफली, रेवड़ी, स्वादिष्ट पकवान, आदि ढेर सारी चीज़ों को खा कर के इस त्यौहार का आनंद भी उठाते हैं।
- क्या आपको पता था कि इस पावन त्योहार का नाम लोई के नाम से ही पड़ा था और यह नाम बहुत जाने माने महान संत कबीर दास की धर्म पत्नी जी का था
- क्या आप जानते है कि यह त्यौहार नए शाल की बिलकुल शुरुआत में और सर्दियों के अंतिम में ही मनाया जाता है।
- आपको शायद ही मालूम होगा कि इस त्यौहार के जरिए सिख समुदाय आगे के नए साल का स्वागत भी काफी धूम धाम से करते हैं और इसी कारण पंजाब में इस त्योहार को और भी उत्साह पूर्ण तरीके के साथ मनाया जाता है।
- ढेर सारे किसान भाई और बहनों के लिए बियर पावन पर्वत काफी ज्यादा शुभ होता है और इस पर्व के बीत जाने के बाद नई फसलों का कटाई और पिटाई की काम शुरू किया जाता है।
अब तो आपको मालूम चल गया होगा कि लोहड़ी के त्यौहार को इस तरह पुरे उत्साह और आनंद के साथ ही मनाया जाता हैं। हमारे भारत देश के कुछ लोग जोबकी विदेशों में भी बसे हुए हैं जिनमे पंजाबी आमतौर पर ज्यादातर विदेशों में ही रहते हैं इसलिये लोहड़ी विदेशों में भी थोड़ी बहुत जोरो शोरो से मनाई जाती हैं। आमतौर पर कनाडा में लोहड़ी त्यौहार का रंग बहुत सजता हैं.
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[ Conclusion, निष्कर्ष ]
दोस्तों मैं आप से उम्मीद करता हूं कि आपको मेरा यह लेख Lohri त्योहार क्या है और Lohri त्योहार को कैसे मनाया जाता है बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से वह सभी जानकारी के बारे में पूरे विस्तार से समझ चुके होंगे जिसके लिए आप हमारे वेबसाइट पर आए थे।
हमने इस लेख में सरल से सरल भाषा का उपयोग करके आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी पूरे विस्तार से बताने की कोशिश की है और आप पर मेरा उम्मीद है कि आप भी मेरा इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे और इस आर्टिकल से जुड़ी सभी जानकारियों को प्राप्त कर चुके होंगे।
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तो चलिए दोस्तों इसी जानकारी के साथ हम अब इस लेख को समाप्त करते हैं और अगर आपको हमरा यह पोस्ट को पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद………
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